ब्यूरोक्रेसी

निजाम की ‘तस्वीर बदलने’ की कोशिशें तेज

शासन का मुखिया पसंद का मिलते ही तेवर में आए सरकार के मुखिया

सचिवालय से शुरू की हालात सुधारने की कवायद

निगमों पर भी आईएएस अफसरों की ताजपोशी

देहरादून। शासन का मुखिया पसंद का मिलते ही सरकार के मुखिया भी तेवर अपनाते दिख रहे हैं। शायद यही वजह है कि निजाम की तस्वीर बदलने की दिशा में काम हो रहा है। सरकार ने बदलाव की शुरुआत सचिवालय से ही शुरू की है। इतना ही आए दिन चर्चाओं में रहने वाले सरकारी निगमों पर भी अफसरों की ताजपोशी की जा रही है।

इस माह की शुरूआत में ही शासन के नए मुखिया के तौर पर आईएएस अफसर ओमप्रकाश ने कार्यभार संभाला है। नए मुख्य सचिव को सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत का नजदीकी माना जाता है। पिछले दिनों कुछ ऐसे आदेश सामने आए हैं, जो इस बात का इशारा कर रहे हैं कि निजाम की तस्वीर बदलने की कोशिशें शुरू हो रही है। इसकी शुरुआत सचिवालय से ही गई है। सबसे पहले तो लोक निर्माण विभाग में नीचे से लेकर ऊपर तक के अफसरों को एक साथ बदल दिया गया। बताया जा रहा है कि इस महकमे में फाइलों को दबाने का खेल चल रहा था।

इसके अलावा मुख्यमंत्री के निर्देश पर सचिवालय प्रशासन विभाग को आदेश जारी कर दिए गए हैं कि सभी विभागों का परीक्षण किया जाए और लंबे समय से एक ही विभाग में जमे लोगों को तत्काल स्थानांतरित किया जाए।सरकार और शासन के मुखिया की जुगलबंदी का असर विगत दिवस सचिवालय में हुए आईएएस अफसरों के फेरबदल में भी दिखा। जिन अफसरों के पास ज्यादा विभाग थे, उनसे वापस लेकर अन्य अफसरों को दिए गए हैं। इस बदलाव में अफसरों को मिली जिम्मेदारी भी इस बात का संकेत दे रही है कि मुख्य सचिव को सिस्टम अपने हिसाब से बनाना चाहते हैं। अहम बात यह भी है कि पिछले मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह भी मुख्यमंत्री के खास थे। लेकिन कहीं न कहीं वे कड़े फैसले लेने को आगे नहीं आ पा रहे थे।

सरकार का ध्यान अब सरकारी निगमों की ओर भी गया है। आए दिन चर्चाओं में रहने वाले उत्तराखंड ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक को सरकार ने सेवा विस्तार नहीं दिया और इस पद पर मुख्यमंत्री की खास पसंद के अफसर डॉ.नीरज खैरवाल को तैनात किया गया है। इसी तरह पिटकुल के प्रबंध निदेशक का दायित्व भी डॉ. खैरवाल को ही दिया गया है। यहां बता दें कि इन दोनों निगमों में जल्द ही बड़ी संख्या में नियुक्तियां होने वाली हैं। नियुक्तियों के मामले में भी ऊर्जा निगम खासी चर्चाओं में रहा है।

समाज कल्याण विभाग पर कब जाएगी नजर

अरबों की छात्रवृत्ति का घोटाला सामने आने के बाद से समाज कल्याण विभाग भी खासी चर्चा में है। इस विभाग का आलम यह है कि सचिवालय के अफसर घोटाले में निलंबित एक अफसर को अपने स्तर से ही बहाल कर देते हैं। विभागीय मंत्री तक को इसकी भनक नहीं लगने देते। इस मामले में मुख्यमंत्री ने आदेश दिए थे कि अधिकारी कैसे और किस अफसर ने बहाल किया, इसकी जांच की जाए। लेकिन इस विभाग के अफसरों के कानों पर जूं तक रेंगी। सीएम के आदेश पर भी जांच नहीं की गई। घोटाला खोलने वाले लोगों की निगाहें अब शासन के नए मुखिया ओमप्रकाश की ओर हैं। उन्हें इंतजार है कि मुख्य सचिव कब इस विभाग की ओर ध्यान देंगे।

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